माता सीता की विदाई के समय नम हुई भक्तों की आंंखें
-राम बनवास व भरत मिलाप के प्रसंगों का आज होगा मंचन
श्रीगंगानगर। श्री हनुमान राम नाटक समिति द्वारा रामलीला मैदान में मंचित की जा रही भव्य गोल्डन रामलीला के मंचन के चौथे दिन की रात को सीता स्वयंवर व कन्या दान का मार्मिक मंचन किया गया। राजा जनक के दरबार में राजा जनक, गुरूमंत्री व अन्य राजा बैठे हुए हैं। धनुष सामने पड़ा है। राजा जनक भाट को कहते है कि तुम हमारी प्रतिज्ञा सब राजाओं को सुना दो। भाट सब को राजा जनक की प्रतिज्ञा सुनाते हैं। हे राज सभा में पधारे हुए शूरवीरों, आप लोगों के सामने जो शंभु चाप पड़ा है, वह उठाने में भारी व पराक्रम में बहुत बड़ा है, जो वीर इस धनुष को उठाएगा वही सीता का पति कहलाएगा।
बारी-बारी से सभी राजा धनुष को उठाने का प्रयास करते हैं, लेकिन असफल रहते हैं। रावण जब धनुष उठाने आते है तभी आकाश मार्ग से आवाज आती है ‘हे रावण तेरी लंका में आग लग रही है और तेरी रानी मंदोदरी को राक्षस उठा कर ले जा रहे हैं’ तब रावण कहता है मुझे किसी ने पुकारा है, मैं चलता हूं फिर आकर धनुष को तोडक़र सीता को ले जाऊंगा। इसके बाद श्री राम चन्द्र जी धनुष को उठाते है व धनुष टूट जाता है तब पूरा रामलीला मैदान जय श्री राम के उद्घोष से गूंज उठता है, तभी सीता जी सखियों सहित आती है व रामचन्द्र जी के गले में वर माला डालती है। इसके बाद विश्वामित्र-परशुराम संवाद, राम व लक्ष्मण का परशुराम के साथ संवाद व कन्या दान के प्रसंग देर रात को दिखाए गए। कन्या दान के बाद सीता माता की विदाई होते समय रामलीला मैदान में राम भक्तों की आंंखें नम हो गई। अध्यक्ष ओम असीजा ने वर्षा के कारण राम भक्तों को हुई असुविधा के लिए खेद प्रकट किया तथा कहा कि सब के सहयोग से जल्दी ही स्थिति सामान्य हो जाएगी। आज रात को राम बनवास व भरत मिलाप के प्रसंगों का मंचन किया जाएगा।
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