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    14 करोड़ का लोन नहीं चुकाया, दुकान पर एसबीआई का ताला

    श्रीगंगानगर। लोन नहीं चकाने वाले लेनदारों पर बैंक अब सख्त हो गये हैं। कुछ दिनों पहले जिला मुख्यालय के एक गांव में बैंक लोन नहीं चुकाने वाले के मकान पर ताला लगा दिया था, वहीं आज एक ओर ऐसा किस्सा सामने आया है। एसबीआई ने लोन नहीं चुकाने के कारण चलन मुद्रा का अभाव का सामना कर रहे बैंकों ने अब रिकवरी के लिए अभियान को युद्धस्तर पर आरंभ कर दिया है। गुरुवार को श्रीकरणपुर में एक ही फर्म की दो दुकानों का अधिग्रहण किया गया तो शुक्रवार को श्रीगंगानगर में कार्यवाही हुई। 
    जिला मुयालय पर 14 करोड़ के एनपीए में रिकवरी के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की टीम ने उच्चाधिकारियों की टीम के साथ स्थानीय अधिकारियों ने एक दुकान को कब्जे में ले लिया। इस फर्म के अनेक संस्थान हैं जो अलग-अलग देवी-देवताओं के नाम पर हैं।
    स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के स्थानीय विधिक सलाहकार भारत भूषण महेन्द्रा ने जानकारी दी कि नई धानमंडी में एक दुकान 268 को कब्जे में लिया गया है। उन्होंने बताया कि श्री बालाजी दाल, भगवती उद्योग, इन्द्र प्राइम आदि के नाम पर फर्म संचालक की ओर से 14 करोड़ रुपये का ऋण लिया गया था। इसके बदले में 7 प्रोपर्टी की गारंटी दी गयी थी। उन्होंने बताया कि गिरवी रखी गयी प्रोपर्टी के बदले में ऋण तो ले लिया गया किंतु कुछ समय से याज का भुगतान नहीं किया जा रहा था। विधिक नोटिस के बावजूद भुगतान नहीं होने पर प्रोपर्टी को कजे में लेने का कार्य आरंभ कर दिया गया। प्रथम चरण में आज नई धानमंडी की दुकान को कजे में लिया गया है। शीघ्र ही छ: अन्य प्रोपर्टी का भी अधिग्रहण कर लिया जायेगा। श्री महेन्द्रा ने बताया कि एक माह के भीतर ही प्रोपटी्र की नीलामी प्रक्रिया को आरंभ कर दिया जायेगा। विधिक सलाहकार ने बताया कि आज की कार्यवाही को पूर्ण करने के लिए जयपुर से बैंक के चीफ मैनेजर देवीशंकर, हरीश गुरबशानी, स्थानीय मुय प्रबंधक पृथ्वीसिंह तथा अमित कुमार के नेतृत्व में कर्यवाही की गयी है। वहीं देवीशंकर ने जानकारी दी कि जयपुर से रिकवरी के लिए चार टीमें प्रदेश के विभिन्न जिलों के लिए रवाना हुई हैं। श्रीगंगानगर के अलावा तीन अन्य जिलों में भी रिकवरी के लिए प्रोपर्टी को कजे में लेने का कार्य किया जा रहा है। 
    वहीं आज प्रात: जैसे ही रिकवरी के लिए टीम नई धानमंडी पहुंची तो धानमंडी के अन्य व्यापारियों में भी हडक़प मच गया। पिछले दिनों वायदा कारोबार में कुछ अन्य स्थानीय कारोबारियों को भी भारी नुकसान होने के समाचार मिल रहे थे। इसके बाद अचानक ही आज –यूआरटी व पुलिस बल के साथ बैंक के अधिकारी पहुंचे तो सभी के कान खड़े हो गये थे। जानकारी मिली है कि यह लोन खाता 2010 से आरंभ हुआ था। पहले तो निर्धारित समय पर याज व अन्य किश्तों का भुगतान होता रहा किंतु बाद में सिस्टम गड़बड़ा गया। उल्लेखनीय है कि नोटबंदी के बाद छायी बाजार में आर्थिक सुस्ती के कारण उद्योग धंधों पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है और हजारों ऐसे खाते जो बैड लोन में डाल दिये गये हैं जिनकी रिकवरी के लिए बैंक अधिकारी कमर कस चुके हैं।

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