कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा- आदमी मशीन नहीं है, बिना गलतियों के काम नहीं कर सकता
कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा- आदमी मशीन नहीं है, बिना गलतियों के काम नहीं कर सकता
हाई कोर्ट ने तर्क दिया कि फैक्ट्री या अन्य जगह काम करने वाले लोग इंसान हैं मशीन नहीं। वे मानवीय गलतियों के अधीन हैं। किसी भी शख्स से बिना ध्यान भटकाए, बिना कोई गलती करे काम करने की उम्मीद नहीं की जा सकती है।
कर्नाटक हाई कोर्ट फोटो
बेंगलुरु
कर्नाटक हाई कोर्ट का मानना है कि इंसान मशीन नहीं है। किसी भी इंसान से यह उम्मीद नहीं की जा सकती है कि वह बिना गलती के कोई काम कर सकता है। हाई कोर्ट ने मिनी ट्रक के ड्राइवर को 12 फीसदी ब्याज के साथ 1.5 लाख रुपये का मुआवजे देने का आदेश देते हुए यह तर्क दिया।
10 अक्टूबर 2010 को सुबह करीब साढ़े ग्यारह बजे ड्राइवर सिद्देश्वर के मिनीट्रक की भिड़त कल्लमबेल्ला स्थित कदाविगेरे गेट के पास दूसरे ट्रक से हो गई। ऐक्सिडेंट में सिद्देश्वर को गंभीर रूप से चोटें आईं उनके शरीर ने 15 फीसदी काम करना बंद कर दिया। हाई कोर्ट के जस्टिस वी वीराप्पा ने कहा, 'यह अच्छी तरह मालूम हो कि फैक्ट्री या अन्य जगह काम करने वाले लोग इंसान हैं मशीन नहीं। वे मानवीय गलतियों के अधीन हैं। किसी भी शख्स से बिना ध्यान भटकाए, बिना कोई गलती करे काम करने की उम्मीद नहीं की जा सकती है।'
ड्राइवर ने ट्रक मालिक और कंपनी से मांगा था क्लेम
उन्होंने आगे कहा, 'इस तरह का मामला कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम के तहत आता है।' जस्टिस वी वीराप्पा ने तुमाकुरु जिले के ड्राइवर सिद्देश्वर की अपील स्वीकार करते हुए मुआवजे का फैसला सुनाया। सिद्देश्वर ने ऐक्सिडेंट के बाद इंश्योरेंस कंपनी और ट्रक मालिक के सामने क्लेम करके मुआवजे की मांग की थी। उन्होंने तर्क दिया कि उन्हें हर महीने 8 हजार रुपये और सौ रुपये दैनिक भत्ता मिलता है और नौकरी के दौरान ही उसका ऐक्सिडेंट हुआ था।
उन्होंने आगे दावा किया कि दवाइयों, वाहन और अन्य में 60 हजार रुपये खर्च दिए। दूसरी ओर, मिनी ट्रक के मालिक केएस प्रकाश ने दावा किया कि वह सिद्देश्वर को हर महीने 5 हजार रुपये और 100 रुपये दैनिक गुजारा भत्ता देते हैं। उन्होंने कहा कि मुआवजा इंश्योरेंस कंपनी द्वारा दिया जाना चाहिए।
सिविल कोर्ट ने ठुकरा दी थी ड्राइवर की अपील
इससे पहले तुमकुरु में सिविल कोर्ट ने 24 जनवरी 2017 को सिद्देश्वर की याचिका खारिज कर दी थी जिसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट का रुख किया था। सिविल कोर्ट ने कहा था कि एक्सिडेंट ड्राइवर की गलती से हुआ है और सिद्देश्वर के पास वैलिड लाइसेंस नहीं था। हालांकि हाई कोर्ट ने इसके विपरीत तर्क दिया कि याचिकाकर्ता का इलाज करने वाले डॉक्टर ने कहा कि ऐक्सिडेंट के बाद सिद्देश्वर 15 फीसदी दिव्यांग हो गए हैं और वह केएस प्रकाश के अंडर में ड्राइवर के रूप में काम करते थे, यह साबित हो चुका है इसलिए मुआवजा पाने का अधिकार है।
ड्राइवर ने ट्रक मालिक और कंपनी से मांगा था क्लेम
उन्होंने आगे कहा, 'इस तरह का मामला कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम के तहत आता है।' जस्टिस वी वीराप्पा ने तुमाकुरु जिले के ड्राइवर सिद्देश्वर की अपील स्वीकार करते हुए मुआवजे का फैसला सुनाया। सिद्देश्वर ने ऐक्सिडेंट के बाद इंश्योरेंस कंपनी और ट्रक मालिक के सामने क्लेम करके मुआवजे की मांग की थी। उन्होंने तर्क दिया कि उन्हें हर महीने 8 हजार रुपये और सौ रुपये दैनिक भत्ता मिलता है और नौकरी के दौरान ही उसका ऐक्सिडेंट हुआ था।
उन्होंने आगे दावा किया कि दवाइयों, वाहन और अन्य में 60 हजार रुपये खर्च दिए। दूसरी ओर, मिनी ट्रक के मालिक केएस प्रकाश ने दावा किया कि वह सिद्देश्वर को हर महीने 5 हजार रुपये और 100 रुपये दैनिक गुजारा भत्ता देते हैं। उन्होंने कहा कि मुआवजा इंश्योरेंस कंपनी द्वारा दिया जाना चाहिए।
सिविल कोर्ट ने ठुकरा दी थी ड्राइवर की अपील
इससे पहले तुमकुरु में सिविल कोर्ट ने 24 जनवरी 2017 को सिद्देश्वर की याचिका खारिज कर दी थी जिसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट का रुख किया था। सिविल कोर्ट ने कहा था कि एक्सिडेंट ड्राइवर की गलती से हुआ है और सिद्देश्वर के पास वैलिड लाइसेंस नहीं था। हालांकि हाई कोर्ट ने इसके विपरीत तर्क दिया कि याचिकाकर्ता का इलाज करने वाले डॉक्टर ने कहा कि ऐक्सिडेंट के बाद सिद्देश्वर 15 फीसदी दिव्यांग हो गए हैं और वह केएस प्रकाश के अंडर में ड्राइवर के रूप में काम करते थे, यह साबित हो चुका है इसलिए मुआवजा पाने का अधिकार है।
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