मोबाइल एप के जरिए बीपी नापना पड़ सकता है भारी, सेहत को हो सकता है ये बड़ा नुकसान
मोबाइल एप के जरीय बीपी नापना भरोसेमंद नहीं
मोबाइल एप के जरीय बीपी नापना भरोसेमंद नहीं है। आजकल लोग मोबाइल एप से बीपी नापते हैं। चूंकि प्रेशर धमनी में होता है, न कि शरीर की ऊपरी सतह पर। इसलिए डॉक्टर बीपी नापने के लिए मशीन को हाथ के बाजू में बांधकर प्रेशर देकर उसे कसते हैं।
डॉक्टर के सामने गड़बड़ाता है बीपी : जापलिंग रोड स्थित एक होटल में एरिस लाइफ साइंसेज की ओर से इंडिया हॉर्ट स्टडी पर राजधानी के डॉक्टरों ने यह जानकारी दी। एरिस लाइफ साइंसेज के अध्यक्ष डॉ. विराज सुवर्ण ने बताया यूपी में 1961 लोगों पर एक सर्वे हुआ। इसमें 1345 पुरुष, 616 महिलाएं शामिल थीं। एक सर्वे में सामने आया कि जो मरीज मोबाइल एप से बीपी नापने के बाद डाक्टर के पास जाकर बीपी चेक कराते हैं तो उनकी रीडिंग अलग होती है। यूपी में ऐसे 22 फीसदी लोगों के साथ होता है। डॉक्टर के सामने उनका बीपी गड़बड़ा जाता है। इसलिए बीपी को घर में भी मशीन से नापना चाहिए।
41.7 फीसदी लोग गलत डायग्नोसिस के खतरे में- डिवाइन हॉर्ट सुपर स्पेशियलिटी के कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. नकुल सिन्हा ने बताया स्टडी के आंकड़े बताते हैं कि भारतीयों में आराम की स्थिति में हृदय की धड़कन की दर (आरएचआर) औसत से अधिक है, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है।
आरएचआर और दिल के बीच गहरे संबंध हैं। सर्वे के मुताबिक प्रदेश में 21.7 फीसदी प्रतिक्रियादाता व्हाइट कोट हाइपरसेंस्टिव, जबकि 20 फीसदी को मास्क्ड हाइपरटेंशन है।
वहीं, करीब 41.7 फीसदी लोग गलत डायग्नोसिस व मिस्ड डायग्नोसिस के खतरे में हैं। अजंता हॉस्पिटल के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. दीपक दीवान बताते है कि किडनी और अन्य महत्वपूर्ण अंगों को स्वस्थ रखने में संतुलित बीपी होना जरूरी है। बीपी बढ़ने से अंगों को क्षति पहुंचती है।
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